आओ आओ भाई लोगो बाबा महामूर्खराज के चिठ्ठा सत्संग सभा मे आप लोगों का हार्दिक स्वागत है । आज बाबा मूर्खराज ओह क्षमा कीजिएगा बाबा महामूर्खराज आप लोगो को मूर्खतापूर्ण पर रहस्यों से भीगे हुए प्रवचन देंगे आप लोगो से नम्र निवेदन है की कृपया शांति बनाए रखेगें धन्यवाद ।
महामूर्खराज उवाचः - भक्तो ! आइये हम सब इस धार्मिक और मोक्षदायिनी प्रवचन बेला का शुभारंभ एक जयकारे से करते हैं ,
बोलो भई ! बाबा महामूर्खराज की जय हो
भक्तो ये संसार ये ब्रहमांड सब असत्य है मानवो द्वारा बनाए गए ये धर्म मार्ग जिनका महिमा मंडन करते हुये , जिसका उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है बताते हुए चिट्ठाजगत के ये धर्मांध थकते नहीं वो भी असत्य है । तो आप पुछेंगे सत्य क्या हैं हे मेरे प्रियजनो सिर्फ और सिर्फ मैं ही सत्य हूँ उसके अलावा सब असत्य है क्योकि सत्य तो केवल वर्तमान है न तो भूत ही सत्य है और न ही भविष्य । और मैं ही वर्तमान हूँ अतः मैं ही सत्य हूँ ।
अतः इस इस सत्य को पहचानने हेतु इस वाक्यों को दोहराइए
"मैं ही सत्य हूँ ।" " अहम ब्रहम अस्मि " अर्थात मैं ही परमात्मा हूँ मैं ही ईश्वर हूँ
हे मेरे मूर्ख पाठको मेरे ऊपर कहे गए इन दिव्य वाक्यो का सभी महान धर्मज्ञाताओं और ज्ञानियों ने बहुत अपमान किया पर हे पाठको
धर्म की विवेचना तो बहुतों ने की पर मर्म तो किसी ने न समझा । जितना इन्होने धर्म -धर्म चिल्लाया अगर उतना ईश्वर - ईश्वर चिल्लाते तो शायद ईश्वर की प्राप्ति भी हो जाती ।
शायद कबीरदास जी ने ठीक ही कहा था
मनका मनका फेरत बीत गया जुग पर मिटा न मन का फेर।
पर इन कथित ज्ञानी लोगों और धर्मान्ध धर्मज्ञाताओं को मेरा जबाब कुछ इस प्रकार से है
जीवन का उद्देश्य ईश्वर से मिलाप है अतः अंततोगत्वा आत्मा परमात्मा मे विलीन होती है और परमात्मा आत्मा मे अर्थात मनुष्य ईश्वर मे विलीन होता है और ईश्वर मनुष्य मे अतः अहम ब्रहम अस्मि
जीवन और मृत्यु के युद्ध और सफलता व विजय के दंभ से सशंकित मेरा मन सत्य के खोज मे भटकता रहा पर जब सत्य से साक्षात्कार हुआ तो घोर आश्चर्य ! सत्य तो आत्मबोध के अलावा कुछ भी नहीं था ।
और इसी के साथ इस चिठ्ठा प्रवचन का इतिश्री करते हुए आप से आज्ञा चाहूँगा ।
चलो भाई लोगों ज़ोर से जयकरा लगाओ - बाबा महामूर्खराज की जय हो ! जय हो !
नम्र चेतावनी : मेरे मूर्ख पाठको आप से नम्र निवेदन है की मेरी बुद्धि और विवेक पर बिश्वास न करे आखिर मैं महामूर्खराज जो ठहरा अतः अपने बुद्धि और विवेक से काम लीजिएगा ।
बाबा महामूर्खराज की जय हो ! जय हो !
जवाब देंहटाएंहम तो शांति बनाए रखेंगे।
जवाब देंहटाएंअंग्रेजी के रास्ते में आ रही वर्ड वेरीफिकेशन रूपी अंग्रेजी को हटाओ।
nice
जवाब देंहटाएंअब जोड़ी ठीक है....
जवाब देंहटाएं(गोल दिमाग बाला लड्डू +महामूर्ख् राज )
..प्रवचन ओरोजिनल है...रट्टा मारा हुआ नहीं है....बहुत अच्छा
आप सभी टिप्पणीकर्ताओं को मेरा हार्दिक धन्यवाद उम्मीद है आगे भी आप इसी प्रकार से इस महामूर्खराज का मार्गदर्शन और हौसला बढ़ाते रहेगे।
जवाब देंहटाएंजय हो बाबा जी की!
जवाब देंहटाएंवैसे आजकल बाबाओं की ग्रहदशा कुछ ठीक नहीं चल रही :-)
जय हो आपकी उत्पत्ति कब हो गई गुरुदेव
जवाब देंहटाएंजय हो ! जय हो !
जवाब देंहटाएंbaba mahamurkha maharaj ki jaiiiiiiiiiiiii
जवाब देंहटाएंjai ho jai ho................
sab jor se bolenge............jaiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii
धर्म की विवेचना तो बहुतों ने की पर मर्म तो किसी ने न समझा । जितना इन्होने धर्म -धर्म चिल्लाया अगर उतना ईश्वर - ईश्वर चिल्लाते तो शायद ईश्वर की प्राप्ति भी हो जाती
जवाब देंहटाएंmurkhraaj maharaj ji apki baat me dam hai!!!!!!