बुधवार, 7 जुलाई 2010

ब्लॉगिंग से अवकाश

मेरे पाठकों मैं हिन्दी ब्लॉगिंग से अवकाश ग्रहण कर रहा हूँ वैसे भी काफी समय से मेरा लेखन कार्य बंद ही रहा है। आखिर लीची और आम का मौसम चालू होने की वजह से अपने बगानों मे थोड़ा व्यस्त हो गया था। अब यह मौसम भी ख़त्म होने को है। व्यस्तता तो कम हो गयी है पर............

भविष्य में मेरा लेखन कार्य कब फिर से शुरू होगा इसकी समय सीमा तो तय नहीं की है पर शुरू अवश्य करूँगा।

हाँ और एक बात मेरे पास एक मामूली सा हुनर है जिससे मैं आप सभी हिन्दी के ब्लोगेरों की सेवा करना चाहता हूँ। फिलहाल अपने इस हुनर पर शोध और अभ्यास जारी है अधिक जानकारी इस हुनर पर आधारित अपने एक नए ब्लॉग के जरिये शोध की समाप्ति के बाद दूंगा।

उड़न तश्तरी जी , विजय प्रकाश जी, मित्र प्रतुल कहानीवला जी, आनंद पांडे जी, सतीश सक्सेना जी,  मेरे ब्लॉग का नाम शामिल करने वाले ब्लॉग " हमारी आवाज" के सभी योगदान कर्ताओं तथा इस चिट्ठाजगत के तमाम सदस्यों को मेरा कोटी कोटी धन्यवाद । 

6 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉगिग अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। इससे दूरी बनाना ठीक नहीं है। विचारों को वाक्यों में समेटने की कोशिश कीजिए, पढ़ने वालों की कोई कमी नहीं है।

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  2. चलिए, काम निपटा लिजिये मगर आईयेगा जरुर. इन्तजार रहेगा.

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  3. यह वाकई गलत बात है,मेरा गंभीर विरोध दर्ज करें !

    इतने कम समय में ही अपनी पहचान बना कर, हमारे दिल पर, अपना नाम लिख चुके हो मूर्खराज ! यह तो दगा हुई ! लगेगा कि कोई अपना छिन गया ! उम्मीद है पुनर्विचार करोगे !

    कम लिखो इसमें कोई नुक्सान नहीं, मगर उपस्थिति बनाये रखिये !
    वाकई उम्मीद में

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  4. आपने जो निर्णय लिया है, घर-परिवार के लिये आवश्यक है किंतु हमारा
    अनुरोध केवल इतना ही है कि आप ब्लागर-परिवार के भी सदस्य हैं अतः
    आपको इनका भी ध्यान रखना चाहिये.सतीश जी की सलाह मानिये.
    आशा है आपसे पुनः भेंट होती रहेगी चाहे अंतराल अधिक ही क्यों न हो.
    आप अपने कार्य में सफल हों इसी शुभकामना के साथ....

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  5. अब इसे चाहे हमारा हठ समझिये, प्‍यार समझिये, अनुरोध समझिये, आज्ञा समझिये या गुंडई समझिये , पर हम आप से यह कहते हैं कि आप कहीं नहीं जा रहे हैं । कितना भी काम क्‍यूँ न हो, आप सप्‍ताह नहीं पन्‍द्रह दिन में एक बार लिखिये पर हमारे बीच रहिये जरूर ।


    अब आपके बिना चिट्ठाजगत पर थोडा अधूरापन लगता है ।


    त का समझैं हम, , हमरी बात सुन रहै हो या कछू और भाषा में समझावैं ।।


    आशा है आप मिलते रहेंगे ।

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  6. लौट के आजा मेरे मीत........... तुझे मेरी पोस्ट बुलाती है.

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