मंगलवार, 18 मई 2010

जलजला जी की आपबीती महामूर्खराज की जुबानी

हाँ मैं छद्मनामधारी जलजला हूँ
जिसके नाम का मचा
चिट्ठाजगत मे कोहराम है
नरों मे श्रेष्ठ कौन की
चर्चा से अभिभूत हो
रचा मैंने नारियों मे
श्रेष्ठ कौन का एक
नया जूमला पर
भूल गया था
नारी सशक्तिकरण
के जुग मे
रच गया हूँ
नारी विभक्तिकरण
का नया एक समीकरण
डर रहा था मैं
की ना हो जाए
मुझ पर बेलनी प्रहार
पर हुआ मुझपर वो
जबरजस्त लेखनी प्रहार
की स्याही के रंग
से रंग कर 
मैं हुआ स्याह:

जलजला जी आपने सिर्फ चिट्ठाजगत की महिला ब्लोग्गेरों का ही दिल नहीं दुखाया है वरन उन सभी छद्मनामधारी, अनामी, बेनामी, और सूनामी ब्लोगरों जिन मे ये महामूर्खराज भी शामिल है का भी दिल दुखाया है जिन्होने कभी किसी तरह की कोई घटिया हरकत नहीं की। और आज आपके कारण बेवजह शर्मिंदगी उठा रहे है। और चिट्ठाजगत मे जलजला लाने का इतना ही शौक है तो अपने लेखों के द्वारा एक वैचारिक और सार्थक जलजला लाइए। जिससे समाज, देश, और विश्व का भला हो यह संभव नहीं है तो कम से कम पाठकों का तो भला हो ऐसे पोस्ट लाइए।
एक बात और किसी ब्लॉगर का नाम ले कर टीका टिप्पणी करने और पोस्ट को विवादित कर  झूठी प्रसिद्धि पाने की की मेरी आदत नहीं है और ना ही मुझे इसकी जरूरत है। यह पोस्ट तो आपके महान पोस्ट और जगह जगह पर की गयी आपकी टिप्पणियों का प्रतिफल मात्र है। इसे दिल से नहीं दिमाग से लीजिएगा।

1 टिप्पणी:

  1. जो भी हो, आपकी बात में दम है.

    बेनामी, छद्मनामी से नहीं, उन कर्मों से तकलीफ से जो इस आड़ में किये जाते हैं.

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